5 Best Place to Visit in Mithilanchal: विश्व के मानचित्र पर अपनी संस्कृति, खान-पान और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध, मिथिला एक बहुत ही सुंदर जगह है। मिथिला क्षेत्र उत्तर बिहार के बहुत बड़े भूभाग में फैला हुआ है, जिसमें बिहार के कई जिलों के साथ झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल के साथ-साथ नेपाल के तराई क्षेत्र के कुछ भाग भी शामिल हैं। यदि आप धार्मिक और ऐतिहासिक जगहों पर घूमने के शौकीन हैं, तो ये मिथिला के कुछ प्रसिद्ध जगह हैं, जहाँ आप घूम सकते हैं।
5 Best Place to visit in Mithilanchal
पुनौरा धाम, सीतामढ़ी
बिहार के सीतामढ़ी जिले में पुनौरा नामक गांव में माता जानकी के जन्मभूमि मंदिर के नाम से प्रसिद्ध, यह मंदिर पुनौरा धाम के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में मिथिला में एक बार भीषण अकाल पड़ा और वहां के पुरोहित ने राजा जनक को खेत में हल चलाने की सलाह दी। जब राजा जनक हल चला रहे थे, तब जमीन से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें माता सीता शिशु अवस्था में थीं। जानकी मंदिर के पीछे ही जानकी कुंड नाम का तालाब है। मान्यताओं के अनुसार, जानकी कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है। पुनौरा धाम आस्था का केंद्र है और यहाँ अवश्य जाएँ।
मिथिला हाट, मधुबनी
मधुबनी रेलवे स्टेशन से 35 कि.मी की दूरी पर स्थित मिथिला हाट झंझारपुर के अररिया संग्राम गांव में है। मिथिला हाट में आप मिथिला की कला और संस्कृति से रू-ब-रू हो सकते हैं। इस जगह में आपको मधुबनी चित्रकला, हस्तकला, सिक्की घास और भी अन्य चीजें देखने को मिल जाएंगी। यदि आप सांस्कृतिक चीजें देखने के शौकीन हैं, तो आप यहाँ जा सकते हैं।
श्यामा माई मंदिर, दरभंगा
श्यामा माई मंदिर दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है। यह मंदिर दरभंगा के महाराज रामेश्वर सिंह की चिता पर बना है। और इस मंदिर में शादी-ब्याह, मुंडन, और अन्य मांगलिक कार्य किए जाते हैं। मंदिर की स्थापना 1933 में दरभंगा के महाराज कामेश्वर सिंह ने की थी। इस मंदिर में रोज हजारों श्रद्धालु आते हैं, और ऐसा माना जाता है कि मंगलकामना पूर्ण होती है। गर्भगृह में मां काली की विशाल प्रतिमा के दाहिनी ओर महाकाल और बाईं ओर गणपति एवं बटुकभैरव देव की प्रतिमा स्थापित है।
दरभंगा किला, दरभंगा
दिल्ली के लाल किला से भी ऊंचा यह किला, दरभंगा किला के नाम से जाना जाता है। श्यामा माई मंदिर से कुछ दूरी पर यह किला स्थित है। इस किले का निर्माण 1934 में दरभंगा महाराज द्वारा शुरू करवाया गया था। लाल ईंटों से बना यह किला देश के चंद आकर्षक किलों में से एक है। किले में नरगौना पैलेस, आनंदबाग महल और बेला महल प्रमुख हैं। यह एक ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है।
अहिल्या स्थान, दरभंगा
अहिल्या स्थान या अहियारी, दरभंगा से 30 किमी की दूरी पर स्थित है। रामायण में सप्तर्षियों में एक गौतम ऋषि का उल्लेख है और उनके साथ ही उनकी पत्नी देवी अहिल्या का उल्लेख भी है। देवी अहिल्या गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थीं, जिनका भगवान राम ने उद्धार किया था। यह मंदिर कला और प्राचीन भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यहाँ रामनवमी और विवाह पंचमी को बहुत बड़ा मेला लगता है।
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