Mahendranath Temple History In Hindi: बिहार के कुछ प्रसिद्ध शिवधाम में से एक सुपरसिद्ध महेंद्रनाथ धाम है, जो कि 500 साल का पौराणिक है। ये मंदिर की खासियत यह है कि ये 552 बिगहा के पोखरा (सरोवर) के तट पर मौजुद हैं। यहां पर बिहार के ही नहीं एवं भारत के अन्य राज्य में से भी श्रद्धालु आते हैं। यहाँ अपने मनोकामना भगवान शिव के सामने रखते हैं। यहां पर जलार्पण एवं स्नान करने को बहुत महत्ता दी जाती है।
Mahendranath मंदिर जाने का रास्ता
अगर शिवभक्तों को भगवान शिव के इस पवित्र स्थान महेंद्रनाथ मंदिर के दर्शन या साथ में 552 बिगहा मैं फैले इस पवित्र सरोवर की भेंट करने की इच्छा हो तो, उनको सबसे पहले बिहार की राजधानी पटना पहुँचना पड़ेगा और वहां से किसी भी साधन के द्वारा वो बिहार के सीवान ज़िले में आ पड़ेगा जोकी पटना से 135 कि.मी. दूर हैं।
सीवान पहुँचते ही आपका मेंहदार नाम के गांव पहुंचना पड़ेगा जो सीवान से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है या फिर आप उत्तर प्रदेश के ज़िले गोरखपुर से सिवान आ सकते हैं जिसके लिये आपको 130 की॰मी॰ की यात्रा करनी पड़ेगी और आप मेंहदार गाँव पहुँच जाओगे। इसी मेंहदार गांव में बना हुआ हैं ये नेपाल नरेश द्वारा भव्य सरोवर तट स्थित शिवलिंगालय।
जैसे ही आप मेंहदार गाँव मैं पहुँचते हैं और मंदिर की और बढ़ते हैं तो मंदिर प्रांगण मैं पहुँचते ही आपको 552 बीघा मैं फैले एक विशाल पोखरा(सरोवर) मिलता हैं और इस सरोवर के पीछे नेपाल नरेश महेंद्रवीर विक्रम शाहदेव से जुड़ी हुई कहानी हैं। आपको यह जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि इसका निर्माण इन्ही नेपाल नरेश के द्वारा किया गया है।
Mahendranath Temple History in Hindi(Full Story)
तो कहानी कुछ उस तरह हैं कि जब नेपाल नरेश महेंद्र विक्रम शाहदेव कुस्ठरोग से ग्रशीत थे तब वो अपने सेना के साथ वाराणसी की और अपने कुस्ठरोग के इलाज के लिए निकले, तभी राश्ते मैं उनको विश्राम करने का विचार आया और वो वहाँ ठहरे। इसके अगले दिन वो आराम करने बाद प्रातःक़ालीन जागते हैं और उनको अपने चक्षु धोने की इक्षा करता है।
तभी वो अपने सैनिकों से कहते हैं कि जाओ और जल का निबंध करो बहुत मेहनत करने बाद उनको एक गंधित जलाशय मिलता हैं कुछ और साधन ना होने के कारण वो उसी से अपने आँखें धो लेते हैं। तभी उनको यह एहसास होता हैं कि उस जल के बूँद जहां-जहां राजा के शरीर पे गिरते थे वहाँ से उनका चर्मरोग नष्ट हो जाता था।
और फिर राजा ने उसे जल से पूरे शरीर के रोग को ख़त्म कर दिया। और उस दिन विश्राम करते हुए रात्रि को उनके स्वप्न मैं शिव जी दर्शन देते हैं और वहाँ पास मैं पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग होने का संकेत देते हैं। जैसे ही वह शिवलिंग प्रकट होती हैं वो अपने सैनिकों को आदेश देते हैं कि नेपाल की और चलें लेकिन उसे रात फिर स्वप्न में शिव जी फिर प्रकट होते हैं।
बोलते हैं की मेरे इस शिवलिंग की स्थापना तुम्हें यही करनी हैं और तथपश्चात स्वप्न मैं फिर आके उन्होंने वहाँ पे एक 552 बीघा का एक सरोवर खुदवाने का आदेश दिया और इसी तरह से वहाँ पे इस पवित्र स्थान की स्थापना हुई।आपको यह भी जानकर आश्चर्य होगा इस खुदाई मैं किसी भी प्रकार का कुदाल का इष्टेमल नहीं हुआ हैं।
महेंद्रनाथ के दर्शन के बाद होते है सारे रोग खत्म
जैसे ही इस धाम की स्थापना नेपाल नरेश द्वारा पूर्ण होती हैं, यह बात फैल जाती हैं कि इस धाम के पानी मैं यह चमत्कार हैं कि वो किसी भी कुष्ठरोग की नष्ट करने की क्षमता रखता हैं तब से यह मान्यता हैं कि इसके जलायशय मैं स्नान करने से शेयर चर्मरोग नष्ट हो जाते हैं और यहीं नहीं लोगों की मान्यता यह भी हैं कि उस विशुद्ध जल के वहाँ स्थापित शिवलिंग पे अर्पण करने से निशान्तनता का रोग भी हर जाते हैं और तभी से इस मंदिर महत्त्वता बढ़ जाती हैं।
क्यों टांगे जाते है छोटे बड़े ताले?
यहाँ पे आने वाले भक्त सरोवर से उठाये हुए जल को वहाँ स्थापित शिवलिंग पे जालर्पण करते हैं और साथ मैं ही कुछ ना कुछ मनोकामना माँगते हैं और उन मनोकामना के पूर्ण होते ही वो वापस जाकर मंदिर के दर्शन करते है। और वो वहाँ पे ताले लगाते हैं। यह वो अपनी मनोकामना के पूर्ण होने की ख़ुशी में करते हैं। यह थी Mahendranath Temple History in Hindi की पूरी कहानी।