Best place to visit in Saran Chapra:सारण(छपरा) बिहार राज्य के प्रमुख ज़िलों मैं से एक हैं । सारण ज़िले का नाम ऋषि सारंगी के नाम से पड़ा क्योंकि यह ज़िला उनका घर था । ईस ज़िले मैं कई ऐतिहाशिक स्थल हैं और इसका इतिहास भी बिहार की तरह सबसे अलग रहा हैं।
यह ज़िला बिहार के दो प्रमुख नदियों के किनारे बसा हैं : गंगा एवं गंडक(गंगा कि सहायक नदी), यह भी एक कारण हैं की यह बिहार के अन्य ज़िलों से ज़्यादा विकसित हैं। तो इस लेख मन हम आपको छपरा के कुछ घूमने वालों जगहों के बारे मैं बतायेंगे।
Best Place to Visit in Saran(Chapra)
मढ़ौरां के कारख़ाने-
मढ़ौढ़ा सारण ज़िले का उप-प्रभाग हैं यहाँ पे इस ज़िले के कई प्रमुख कारख़ाने रहे हैं और कुछ तो अभी भी सही प्रभाव से चलायें जा रहे हैं। मटन जो की पुराने जमाने मैं बिहार की एक बहुत मशहूर चॉकलेट थी उसका निर्माण भी यहीं हुआ करता था। हालाँकि आज भी उसका कारखाना यहाँ मौजूद हैं जो की आप अभी भी वहाँ देख सकते हैं। इसके अलावा भी यहाँ पे कई सरकारी कारख़ाने जैसे की यहाँ पे अभी रेल चक्का की फैक्ट्री हैं। इसके अलावा ये अपने चीनी मिल के लिए भी चर्चा मैं रहा हैं। कारख़ानों के इलावा भी यहाँ कई मशहूर स्थान हैं जैसे की यहाँ पे गढ़देवी का मंदिर हैं जो वहाँ के लोगों मैं। बहुत ही लोकप्रिय हैं।
सोनपुर के मेले का इतिहास-
सोनपुर के मेले का इतिहास भारत के पौराणिक इतिहास से जुड़ा हैं , यह पवित्र स्थल भारत के दो प्रमुख नदियों गंगा एवं गंडक के संगम स्थल पे स्थित हैं। इस मेले का आर्थिक इतिहास के अलावा धार्मिक इतिहास भी रहा हैं।
॰आर्थिक रूप से इसका इतिहास॰
यहाँ पे विश्व का सबसे बड़ा पशु मेला लगता हैं , यहाँ तक यह भी कहा जाता हैं कि मौर्य सम्राट अपने युद्धि पशु की ख़रीदारी यहीं से किया करते थे । यही पे बिहार के इतिहास के बहुत बड़ा युद्ध बैटल ऑफ़ घागरा हुआ था। ईस जगह का हर सदी मैं कुछ ना कुछ महत्व ज़रूर रहा हैं।आर्थिक रूप से इस मेले का बहुत महत्व हैं । यहाँ के और इसके आसपास के लोगों की ये बहुत मदद करता हैं ।
॰धार्मिक रूप से इसका इतिहास॰
सोनपुर मैं विश्व के एकमात्र ऐसा शिवालय मौजूद हैं जहां शिव जी और विष्णु जी एक साथ विराजमान हैं और इसे मंदिर का नाम बाबा हरिहर नाथ मंदिर हैं। जब इस मेले की शुरुआत कार्थिक पूर्णिमा की रात को होती हैं तो श्रद्धालु सबसे पहले गंगा नदी से जल लेके यहाँ के मदिर पे अर्पण करते हैं और फिर आगे की यात्रा चालू करते हैं। यहाँ पे इस विश्वप्रसिद्ध मंदिर के अलावा कई सारे मंदिर मौजूद हैं जिसने माता का भी मंदिर हैं और श्रध्दालु यह पे भी दर्शन के लाभ उठाते हैं।
आमी : माँ अंबिका देवी मंदिर की कहानी। क्यों जोड़ा जाता हैं इसे ६२ शक्तिपीठों मैं उसके पीछे का इतिहास?-
तो यह माता के मंदिर के इतिहास का वर्णन हमको शिवपुराण मैं मिलता हैं। यह मंदिर के पीछे की कहानी बड़ी ही रोचक हैं । जब माता सती के द्वारा किए गए घने तप के बाद जब शिव जी का उनसे विवाह हो जाता हैं तब यह देख सती माता के पिता राजा दक्ष को भली आँखें नहीं भाती , तो इसका बदला लेने के लिए महाराज दक्ष जी ने एक बहुत बड़ा यज्ञ करवाया और ईस यज्ञ मैं उन्होंने अपनी बेटी और दामाद कि छोड़ के दुनिया भर के लोगों को निमंत्रण दिया। यह बात सुनके माता सती बहुत क्रोधित हो जाती हैं और महादेव जी के लाख मना करने बावजूद माता सती वहाँ उस यज्ञ मैं पहुँच जाती हैं।
वहाँ पहुँचते ही अपने देव का अपमान सुनने के बाद वो उसी यज्ञ की आग मैं अपना देह त्याग देती हैं और महादेव इसे देख वियोग मैं उनके मृत शरीर को लेके पूरे ब्रह्मांड मैं घूमने लगते हैं । और ईस डर से की महादेव की तीसरी आँख ना खुले विष्णु जी को अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर को ५२ टुकड़ों मैं अलग कर दिया और जहां जहां वो टुकड़े गिरे वहाँ पे एक शक्तिपीठ बना।
आमी मदिर के रोचक तथ्य:-
॰यहाँ पे माता की मूर्ति लगभग ५००० साल पुरानी हैं ।
॰यह मंदिर गंगा किनारे हैं और यहाँ पे गंगा जी दक्षिण दिशा मैं बहती हैं ।
॰राजा दक्ष ने ईस यज्ञ का नाम दीर्घ द्वार रखा था इसी लिए ईस जगह का नाम दिघवाड़ा रखा हुआ
इस आर्टिकल में हमने आपको Best Place to Visit in Saran Chapra के बारे में बताया जिससे आपको छपरा के महत्त्वपूर्ण जगह के बारे में जानने को मिला होगा।