Thawe Mandir Story in Hindi: आपने भगवान और भक्त की अनेकों कहानियाँ सुनी होंगी लेकिन आज हम आपको पुरातन युग की एक बहुत कम सुनी कहानी के बारे मैं बतायेंगे जिसमे एक दलित श्रेणी का भक्त हैं जो माता की आराधना मैं लीन हैं और यह कहानी भारत के उस राज्य से बिहार से जुड़ी हैं जिस राज्य मैं पुरातन युग के कई सारे साक्ष्य और प्रमाण हैं।
Thawe Mandir Story in Hindi
Raja Manan Singh ki kahani
राजा मनन सिंह की कहानी: ये कहानी शुरू होती हैं तब जब उस समय के राजा मनन सिंह के राज्य मैं आयी एक बहुत बड़ी आपदा। जिसके कारण उनके राज्य मैं एक भी अन्न का दाना नहीं हो पाया था। राजा मनन सिंह इस खबर से बहुत ही दुखी थे। अपने नगरवासियों से विचार विमर्श करते समय उन्हें यह पता चलता हैं की उन्हीं के राज्य मैं रह रहा एक चमार जाति से आने वाला एक व्यक्ति जिसका नाम रहसु होता हैं उसके खेतो मैं इतनी बारे महाकाल के बाद भी अनाज उग रहे हैं। वह इस बात को सुनके चौक से जाते हैं और उन्हें सबसे जड़ा आश्चर्य तब होता हैं जब उन्हें यह बताया जाता हैं कि वह अपने अनाज की देवनी बाघ एवं सर्प से करता हैं। इस वख्यात को सुनते ही वो अपने सैनिकों को आदेश देते हैं कि जाओ और रहसु को बंधी बना के लेके आओ।
रहसू कौन था?
फिर राजा के आदेश के बाद रहसु जी को उनके सामने हाज़िर किया जाता हैं और राजा का पहला सवाल ही यह होता हैं कि इतने बारे काल के होने के बावजूद भी तुम्हारी फसल इतनी अच्छी और ज़्यादा कैसे हैं। तब ही रहसु कहते हैं ये मेरे माँ की आराधना और उनकी सेवा करने की वजह से हुआ हैं।
यह सुनके राजा मौन हो जाता हैं क्यूँकि राजा भी माता का बहुत बड़ा भक्त होता हैं वह सोचता हैं कि क्यूँ ना इनसे कहाँ जाये कि तुम यहाँ अपने माता के होने का प्रमाण दो और उन्हें यहाँ प्रकट होने के लिए कहो, राजा कि लगता हैं कि यहाँ रहसु मना करा देगा परंतु ऐसा नहीं होता और वो कहता हैं कि मैं माता को यहाँ बुला तो दूँगा लेकिन उसके बाद यहाँ हा रहे अकाल से कई बड़ा अकाल आ जाएगा कोई भी मनुष्य यहाँ पर स्वशनशील नहीं रह पाएगा “ना हम ना आप” लेकिन राजा अपनी ज़िद पे अड़ा रहता हैं और उन्हें अपनी बात मनवा के ही रहता हैं।
फिर रहसु भगत अपनी आराधना मैं लगते हैं और माता उनका बुलावा सुनके कामाख्या से चलते हुए पटना कोलकाता विंध्याचल होते हुए वो थावे आ रही होती हैं रहसु भगत राजा की हर उस जगह पे आगाह करते हैं कि वो अब यहाँ पहुँच गई हैं अपन चाहो तो मैं उन्हें अभी से भी रोक दूँगा लेकिन वो राजा ना मानते हुए अपने ही प्रलय को बुला लेता हैं और माता के थावे पहुँचते ही आँधी तूफ़ान बदल के गरजने की आवाज़ों से भर जाता हैं
और माता रहशु भक्त के अंदर प्रवेश करती हैं और जैसे ही वो अपने हथेली और कंगन बाहर निकलती हैं वहाँ रह रहे हर किसी की मृत्यु हो जाती हैं और राजा राज्य से लेके उसका क़िला सब तहश नहश हो जाता हैं। अभी भी वहाँ पे इस घटना के प्रमाण मिलते हैं।
थावे मंदिर का इतिहास क्या है?
थावे वाली माता के इस मंदिर को माता के 52 शक्तिपीठों के समान ही माना जाता हैं यहाँ तक ये भी माना जाता हैं कि इस मंदिर के दर्शन उपरांत ही जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं इसके प्रांगण मैं माता जी मंदिर के इलावा रहशु भक्त का भी मंदिर हैं और वहीं पे माता जी एक मूर्ति उपस्थित हैं और इसके अलावा वहाँ पे विशाल पोखर है जहां पे लोग अपने बच्चो का मुंडन करते है और उसके अलावा वहाँ पे बलि भी दी जाती हैं।
सिवान से थावे की दूरी
अगर आप सिवान जिले से थावे मंदिर जाना चाहते है तो सिवान से थावे की कुल दूरी 26.4 किलोमीटर होती है अगर आप किसी वाहन से जाए तो 40 मिनिट का रास्ता पड़ता है।
Thawe Mandir Photos
आशा करते है आपको हमारे द्वारा थावे वाली माता के मंदिर की जानकारी पसंद आई होगी और आपको कुछ जानने को मिला होगा। इसी तरह की रहस्मई धार्मिक अस्थल की और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट पर आ सकते है, धन्यवाद।